Sunday, August 04, 2013

देह नया है


वही धूप,
वही परछाई..
देह नया है... लेकिन अब

वही उम्र,
ज़रा अलसाई..
नेह नया है... लेकिन अब

लफ़्ज़ वही हैं,
वही हैं मानी,
सोए पड़े थे
ये अभिमानी..

अब जाग गए हैं... सब के सब..

देह नया है... देखो अब

- Vishwa Deepak Lyricist