Thursday, December 16, 2010

साँसें और होमियोपैथी


साँसें बारीक काटकर
भर लें आ
सौ सीसियों में..
"ऊँची ऊँचाई" पर जब
हाँफने लगें रिश्ते
तो
उड़ेलना होगा
फटे फेफड़ों में
इन्हीं सीसियों को

होमियोपैथी की खुराक
देर-सबेर असर तो करेगी हीं!!


-विश्व दीपक

Sunday, December 12, 2010

कोई सीखे तुमसे सिफ़र थाम लेना..



इन भौहों के बल पे क़मर थाम लेना,
कोई सीखे तुमसे सिफ़र थाम लेना..

अज़ल से छिपाकर रखी है क़यामत,
पलक गर उठाओ, नज़र थाम लेना...

निगाहें तुम्हारी, निगाहें हमारी,
कभी मिल गईं तो जिगर थाम लेना....

बड़ी हीं वफ़ा है तुम्हारी अदा में,
जो मुझसे खता हो, असर थाम लेना..

जो लिखने चलें हम मरासिम हमारे,
तो मैं काफ़िया, तुम बहर थाम लेना..

हाँ ज़ाया किये हैं सभी लम्हे मैंने,
जो तुम आ मिलो तो उमर थाम लेना..

जो डँस लें मुझे गेहुँअन ये ग़मों के,
नसों में उतर, तुम ज़हर थाम लेना..

जाने मैं कैसे "तन्हा" था अब तक,
तुम आकर ये मेरा हुनर थाम लेना..

पलक गर उठाओ, नज़र थाम लेना...


-विश्व दीपक

शब्दार्थ:
१) क़मर = चाँद
२) सिफ़र = आकाश
३) अज़ल = सृष्टि की संरचना का दिन
४) मरासिम = रिश्ता
५) गेहुँअन = एक प्रकार का साँप