Saturday, April 03, 2010

खुदाया


मुखड़ा

वादो की बगिया को कैसे भरूँ,
सपनों की नदिया में कब तक बहूँ,
वादो की बगिया को कैसे भरूँ,
सपनों की नदिया में कब तक बहूँ।

मेरा साहिल वही है,
वो ग़ाफ़िल नहीं है,
मेरा साहिल वही है,
वो गाफ़िल नहीं है।

दिलासा ये हासिल मैं कैसे करूँ
खुदाया.........

अंतरा 1

इशारा कोई तो नज़र से हो,
नज़ारा कोई तो उधर से हो,

इशारा कोई तो नज़र से हो,
नज़ारा कोई तो उधर से हो।

चाहत दम-ब-दम,
संग-संग उस-सा हम-कदम,

दिलासा ये हासिल मैं कैसे करूँ,
खुदाया.........

अंतरा 2

सवेरा कभी तो अलग-सा हो,
बसेरा कभी तो फ़लक-सा हो,

सवेरा कभी तो अलग-सा हो,
बसेरा कभी तो फ़लक-सा हो।

मन्नत दम-ब-दम,
संग-संग उस-सा हम-सुखन,

दिलासा ये हासिल मैं कैसे करूँ,
खुदाया.........


-विश्व दीपक

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